इश्क़ को अक्सर देखा है हमने
आँखों के झीलों से झड़ते हुए
कभी मुझ पर गिरते हुए
कभी पलकें भिंगोते हुए
इश्क़ को अक्सर देखा है हमने
आँखों के झीलों से झड़ते हुए
कभी मुझ पर गिरते हुए
कभी पलकें भिंगोते हुए
इश्क़ को अक्सर देखा है हमने
नेहा "अमृता"
zindagi ak patte ki tarah hoti hai... jab tak shaakh se lagi rahti hai sabko chhav deti hai... aur jab tut jati tab bhi kisi na kisi ke kaam aa hi jati hai
कहाँ से शुरू करू दोस्ती के मतलब बताना थाम ले जो हाथ बिन मेरे कुछ बोले वो है असली दोस्त कहाँ से शुरू करू दोस्ती की दहलीज़ पर खड़े हो कर ब...