चोरी छुपे ही सही
हम उस पर नज़र रखते है
उसे अपने करीब शाम-ओ-सहर रखते है
कुछ कहते है कुछ छुपाते है
कुछ कहते है कुछ छुपाते है
कुछ बातो में सबर रखते है
चोरी छुपे ही सही
हम उस पर नज़र रखते है
कोइ कहता है अगर उसके बारे में
तो हम मशरूफियत अपनी खुद में रखते है
हम सुनते है सब, पर कहते कुछ नहीं
की हम उन पर भरोसा से भरा जीवन रखते है
चोरी छुपे ही सही
हम उन पर नज़र रखते है
दो-चार लफ्ज़ तो उनकी भी सुन ही लेते है
दो-चार अपनी भी सुना देते है
मन-ही-मन कितना चाहते है
ये भी कभी-कभी उनको बता देते है
ये नहीं की खोने का डर है हमे
ये नहीं की खोने का डर है हमे
बस उन पर नज़र रखते है
वजह इतनी सी है
उनको किसी की नज़र ना लगे इसलिए
उन पर नज़र रखते है
नेहा 'अमृता'
सीधे दिल पर उतर गयी पंक्तियाँ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..
बहुत बहुत शुक्रिया संजय जी
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