मेरी अमावस्या की रात को
पूर्णिमा
की चादर दे ना सके तुम
सब कुछ तो
दे दिया तुमने
पर ये
आसमां दे न सके तुम
पूछने को
तो तुमने
चाँद तारों
की सच्चाई पूछ ली
भींगी मेरी
पलकों की वजह
जाने क्यू
पूछ ना सके तुम
मेरी
अमावस्या की रात को
पूर्णिमा
की चादर दे ना सके तुम..
नेहा ‘अमृता’
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
इस हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया संजय जी
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