Wednesday, September 23, 2020

मेरी अमावस्या की रात को







मेरी अमावस्या की रात को

पूर्णिमा की चादर दे ना सके तुम

सब कुछ तो दे दिया तुमने

पर ये आसमां दे न सके तुम

पूछने को तो तुमने

चाँद तारों की सच्चाई पूछ ली

भींगी मेरी पलकों की वजह

जाने क्यू पूछ ना सके तुम

मेरी अमावस्या की रात को

पूर्णिमा की चादर दे ना सके तुम..

नेहा ‘अमृता’

2 comments:


  1. सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

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  2. इस हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया संजय जी

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