Wednesday, September 23, 2020

मेरी प्रेरणा है तू

 




मेरी प्रेरणा है तू

मेरी कल्पना है तू

क्या है, क्यूँ है

मै नहीं जानती

पर, मेरा है तू

कुछ धुंधला है

कुछ अनछुआ

कुछ खामोश सा है तू

मै नहीं जानती

पर, मेरा है तू

कुछ बेमतलब सा है तू

कुछ मेरी आशाओ की परिभाषा सा है तू

मै जानती हूँ

बस मेरा है तू

नेहा 'अमृता'

2 comments:

  1. ये रचना भी प्यारी है और इसकी हेडिंग भी बहुत सटीक है

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    1. बस एक कोशिश है छोटी सी, अच्छा लगा जान कर वो सफल हुई

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