मेरी प्रेरणा
है तू
मेरी कल्पना
है तू
क्या है, क्यूँ है
मै नहीं जानती
पर, मेरा है तू
कुछ धुंधला है
कुछ अनछुआ
कुछ खामोश सा
है तू
मै नहीं जानती
पर, मेरा है तू
कुछ बेमतलब सा
है तू
कुछ मेरी आशाओ
की परिभाषा सा है तू
मै जानती हूँ
बस मेरा है तू
नेहा 'अमृता'
ये रचना भी प्यारी है और इसकी हेडिंग भी बहुत सटीक है
ReplyDeleteबस एक कोशिश है छोटी सी, अच्छा लगा जान कर वो सफल हुई
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