Wednesday, September 23, 2020

मेरी अमावस्या की रात को







मेरी अमावस्या की रात को

पूर्णिमा की चादर दे ना सके तुम

सब कुछ तो दे दिया तुमने

पर ये आसमां दे न सके तुम

पूछने को तो तुमने

चाँद तारों की सच्चाई पूछ ली

भींगी मेरी पलकों की वजह

जाने क्यू पूछ ना सके तुम

मेरी अमावस्या की रात को

पूर्णिमा की चादर दे ना सके तुम..

नेहा ‘अमृता’

मेरी प्रेरणा है तू

 




मेरी प्रेरणा है तू

मेरी कल्पना है तू

क्या है, क्यूँ है

मै नहीं जानती

पर, मेरा है तू

कुछ धुंधला है

कुछ अनछुआ

कुछ खामोश सा है तू

मै नहीं जानती

पर, मेरा है तू

कुछ बेमतलब सा है तू

कुछ मेरी आशाओ की परिभाषा सा है तू

मै जानती हूँ

बस मेरा है तू

नेहा 'अमृता'

Thursday, September 3, 2020

प्यास रहती है...

मिट जाता हूँ मैं जिस रूह में 
वो क्या प्यास  से भी प्यासी रहती है

जिस ज़िन्दगी में एक आश हैं 
वो सदियों से बहुत कुछ कहती हैं

मर जाता है मन  मेरा 
पर सपने को  उड़ान रहती हैं

मिट जाता हूँ मैं जिस रूह में
वो क्या प्यास  से भी प्यासी रहती हैं

कुछ ख्वाबों के ताने-बाने थे 
कुछ मंजिले धुंधली 

कुछ रिश्तों में एहसास उदास रहती है 
मर जाता है मन  मेरा 
पर सपने को उड़ान रहती हैं... 

नेहा 'अमृता'
राजकोट

दोस्ती

  कहाँ से शुरू करू  दोस्ती के मतलब बताना थाम ले जो हाथ  बिन मेरे कुछ बोले वो है असली दोस्त कहाँ से शुरू करू दोस्ती की दहलीज़  पर खड़े हो कर  ब...