Thursday, September 3, 2020

प्यास रहती है...

मिट जाता हूँ मैं जिस रूह में 
वो क्या प्यास  से भी प्यासी रहती है

जिस ज़िन्दगी में एक आश हैं 
वो सदियों से बहुत कुछ कहती हैं

मर जाता है मन  मेरा 
पर सपने को  उड़ान रहती हैं

मिट जाता हूँ मैं जिस रूह में
वो क्या प्यास  से भी प्यासी रहती हैं

कुछ ख्वाबों के ताने-बाने थे 
कुछ मंजिले धुंधली 

कुछ रिश्तों में एहसास उदास रहती है 
मर जाता है मन  मेरा 
पर सपने को उड़ान रहती हैं... 

नेहा 'अमृता'
राजकोट

2 comments:

  1. शब्द संयोजन उम्दा है..कविता में अंतर्मन के भाव भी खूब उभर कर आये हैं...

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    1. दिल से शुक्रिया आपका, ये जान कर बहुत अच्छा लगा की मेरी कविता आपको पसंद आई

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